
मेरे महबूब तेरी यादों का आइना मुझको नीम बेहोशी में ले जाके मदहोश किए जाता है
चूम लेतें हैं तेरी तस्वीर को हम
वक्त हमको उसी दौर में ले जाता है ।
जहाँ हम तुम मिले थे पहली बार
हुईं थी निगाहें चार
तुम मेरी साथी आज भी याद आ रही हो
दिल को लुभा रही हो
तुम इस तस्वीर से
क्यों नहीं बाहर आ रही हो
वाह गिरीश जी,
जवाब देंहटाएंआप ने प्रेम पर ही ब्लाग बना डाला....
तब तो आप को मेरे ब्लाग पर आना ही पडे़गा...मेरे रोमांटिक रचनाएं वाले ब्लाग पर....
चूम लेतें हैं तेरी तस्वीर को हम
जवाब देंहटाएंवक्त हमको उसी दौर में ले जाता है ।
... बहुत खूब, प्रसंशनीय अभिव्यक्ति !!!!
प्यार के खूबसूरत एहसास......
जवाब देंहटाएंअरे वाह,बड़े ही खूबसूरत कविता लिखते है आप,
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आपकी ये कविता,
कम शब्दों मे आपने प्यार की सुंदर व्याख्या कर डाली..
बधाई हो!!!