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मंगलवार, 27 अगस्त 2024

श्री कृष्ण की सार्वकालिक प्रासंगिकता अध्याय 02

 


    अध्याय 01  में आपने पढ़ा कि किस प्रकार से वामपंथी और भारतीय सहित्यकारों
 ने इतिहासकारों के साथ मिलकर इस मंतव्य को स्थापित कर दिया कि राम और कृष्ण काल्पनिक पात्र हैं। the chronology of india manu and mahabharata पुस्तक में लेखक श्री वेदवीर  आर्य ने एस्टॉनोमिकल साक्ष्य के आधार पर सब कुछ स्पष्ट कर दिया है। इस कृति के आधार पर मैं भी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के प्रवेश द्वार 16000 वर्ष ईसा पूर्व आज से 2 साल पहले लिखी थी। 
 विज्ञान उतना ही जानता है जितना वह देख सकता है। विज्ञान उतना ही देख सकता है जितना उसके पास देखने के लिए संसाधन होते हैं। अभी ब्रह्मांड के घटनाक्रमों को विज्ञान पूरी तरह देखने में असफल रहा है। भविष्य में देख सकता है इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता।  
  हम एस्ट्रोनॉमिक आधार पर जुटाए गए साक्ष्य के लिए वेदवीर आर्य को आभार व्यक्त करते हैं।
         चलिए हम वापस मूल विषय पर लौटते हैं। कृष्ण सार्वकालिक प्रासंगिक कैसे हैं? 
 इस संबंध में जब विचार करते हैं तो हम श्री कृष्ण के विपरीत परिस्थितियों में जन्म के से लेकर उनके  भूलोक से प्रस्थान करने तक की अवधि में के कुछ ऐसे बिंदुओं पर विचार करते हैं जो सभ्यता के लिए सार्वकालिक रूप से महत्वपूर्ण है 
कुछ मान्यताओं के अनुसार कृष्ण का जन्म कृष्ण का जन्म ईसा से तीन हज़ार साल पहले हुआ था हुआ था. 
     कुछ उल्लेखों के अनुसार  21 जुलाई, 3228 ईसा पूर्व (ईसा पूर्व) को हुआ था।  
बौद्ध धम्म के अनुयाई कृष्ण के अस्तित्व से असहमत  हैं.
    

   1. शैशव काल:- श्रीकृष्ण का शैशव काल असामान्य था। असामान्य स्थिति में जन्मे थे । जेल में जन्म होना पहले असामान्य स्थिति थी। फिर उन्हें गोकुल में बड़े रहस्य में ढंग से पिता वासुदेव ने पहुंचा। 
  वासुदेव अगर सही निर्णय न लेते तो बालक को कंस मार सकता था।   भारत भी एक महापुरुष की लीलाओं से वंचित रह जाता साथ ही  हम  एक युग पुरुष द्वारा दिए गए जीवन दर्शन के सिद्धांत और उसकी प्रक्रिया से  परिचित न हो पाते? 
 2.बाल्यकाल :- बाल्यावस्था से ही नेतृत्व क्षमता का प्रकटीकरण करने वाले श्री कृष्णा अपने ग्वाल मित्रों के साथ  कालिया नाग के घमंड को चूर किया। उन्होंने कालिया नाग की हत्या नहीं की बल्कि उसे यमुना नदी तट पर गोवंश के पानी पीते समय आतंकित न करने की शिक्षा दी। 
   बाल्य काल में ही भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों द्वारा मथुरा ले जाए जाने वाले मिल्क प्रोडक्ट दही दूध मक्खन आदि के घड़े तोड़कर मथुरा नगरी की दैनिक जरूरत पर प्रतिबंध लगा दिया ।
   इसके उपरांत गोकुल में बच्चों को शारीरिक स्वास्थ्य , सौष्ठव एवं शिक्षा दीक्षा के लिए प्रेरित किया ।  कृष्ण अपनी किशोरावस्था से ही बेहद विश्वसनीय तथा लोकप्रिय अच्छे नियंत्रित करता साबित हुए। 
   इसके पश्चात कंसवध करना उनकी जिम्मेदारी थी जो उन्होंने पूर्ण की।कंस वध के उपरांत कृष्ण का जीवन राष्ट्र के उत्थान के लिए समर्पित हुआ। 
वे नैतिक मूल्यों की पक्षधर के रूप में प्रतिष्ठित हुए। 
   एक विद्वान श्री वेदवीर आर्य अपनी पुस्तक the chronology of india manu to mahabharata में द्वापर के युग का काल निर्धारण करते हुए अपने ग्रंथ के छठवें भाग में द्वापर युग को 5577 ईसा पूर्व से 3176 ईसापूर्व का कालखंड निर्धारित करते हैं। 
   वे महाभारत युद्ध की तिथि 3162 ईसा पूर्व में निर्धारित करते हैं ।
    वेदवीर आज अपने ग्रंथ में दो श्री कृष्ण की उपस्थिति को नक्षत्र गणना के आधार पर निर्धारित करते हैं। 
   उनका मानना है कि ऋवैदिक काल मैं देवकीनंदन कृष्ण का जन्म हुआ था जबकि महाभारत कालीन कृष्ण का जन्म द्वापर में हुआ था। 
   ऋग्वेद का कालखंड 14500 वर्ष पूर्व निर्धारित करते हुए ग्रंथ में उस कालखंड में नक्षत्रिय स्थितियां एवं विशेष घटनाक्रमों का उल्लेख भी किया है।
भगवान श्री कृष्णाके के जीवन के संबंध में विस्तृत जानकारियां साक्ष्य सहित जन जन तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आर्टिफिशियल गाइडेड इंटेलिजेंस के जरिए भविष्य में सटीक रूप से विश्लेषित हो सकती है। 
शीघ्र इस ब्लॉग में गीता तथा महाभारत से संबंधित कंटेंट के साथ आलेख प्रस्तुत करेंगे। 
तब तक के लिए हमें बिदा दीजिए नमस्कार

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