Wikipedia

खोज नतीजे

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2024

Mysteries of the soul | आत्मा होती ही नहीं ?


आमतौर पर अपने आप को इंटेलेक्चुअल साबित करने वाले लोग आत्मा के अस्तित्व को अस्वीकार करते हैं !   जो लोग परंपरागत विचारों को मानते हैं वह आत्मा के अस्तित्व से इंकार नहीं करते। आत्मा के इस होने न होने के प्रश्न उत्तर एवं तर्क वितर्क के  बीच बहुत कम लोग ही हैं जिन्होंने आत्मा के अस्तित्व को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हैं। और तो और कुछ लोग तो  इस मुद्दे पर  बात करने से लोग बचते भी हैं।   कुछ वैज्ञानिकों का विचार  है कि आत्मा को किसी आत्मा अभौतिक तत्व है।  जो विश्वासों पर निर्भर करता है। यह एक डिप्लोमेटिक रिप्लाई है। इससे आत्मा परिभाषित करने में कठिनाई होती है। क्योंकि  यह प्रश्न हमारे अस्तित्व  और जीवन के अर्थ से जुड़ा है।  अत: इसका परीक्षण करना आवश्यक है। ताकि आत्मा शब्द की परिभाषा का न्यायसंगत  प्रबोधन हो सके। भारतीय दर्शन में आत्मा की अवधारणा सदियों से विद्यमान रही है, दूसरी ओर पश्चिम भी आत्मा के अस्तित्व को स्वीकृति देता है।   परंतु अधिकांश  वैज्ञानिक सोच रखने वाले  आत्मा शब्द के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं।       तर्कवादी तो अक्सर इस मुद्दे पर आत्मा की अस्तित्व को मानने वालों का ही मजाक बनाते हैं ।   आत्मा  भले ही भौतिक रूप से देखी न जा सके, परंतु ऊर्जा को उत्पादित करने वाला ऐसा तत्व अवश्य है, जो सदा शरीर या  ब्रह्मांड में बना रहता है। इसे और स्पष्ट रूप से समझिए 1. आत्मा या तो शरीर में रहती है 2. अथवा ब्रह्मांड में स्वतंत्र विचरण करती है।     आत्मा की मौजूदगी में शरीर में क्या होता है ? आत्मा की मौजूदगी में शरीर में भावात्मकता, जैसे कार्य करने की प्रेरणा, कार्य न करने का संदेश, दुःख, आंतरिक पीढ़ा, क्रोध, प्रेम, यानी समस्त मानवीय भावनाएं सक्रिय रहती हैं।    आपने कभी भी जड़ पदार्थ में ऐसी भावात्मक उत्तेजना महसूस नहीं की होगी।   आत्मा शरीर द्वारा किए गए कार्यों का डेटाबेस भी तैयार करती है। उसे संचित करती है । अच्छे और बुरे कार्य आत्मकोश में केंद्रित होते हैं।   आत्मा उपयोग में लाए गए भौतिक पदार्थों से  भौतिक रूप से अर्जित की जाने वाली ऊर्जा को प्राप्त करने, उसके आवश्यकता अनुसार शरीर में वितरण करने, के  अनुदेश अर्थात इंस्ट्रक्शंस शरीर की संरचना में उत्तरदाई अंगों को देती है।    आत्मा मस्तिष्क को संचालित करती है।    आत्मा के बारे में एक आस्तिक  लेखक के रूप में मेरा स्पष्ट मत है कि - "आत्मा , एक ऐसा अभौतिक सुप्त ऊर्जा मंजूषा है जिसमें भौतिक पदार्थों से ऊर्जा जनरेट करने की क्षमता भी होती है।   हम जानते हैं कि शरीर के संचालन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है ? इस ऊर्जा के आवश्यकता अनुसार वितरण के लिए जिम्मेदार तत्व आत्मा ही तो है।  वर्ष 2024 में एक ऐसे योगी  नर्मदा परिक्रमा पर हैं, जिन्होंने कई वर्षों से भोजन नहीं किया, कुछ मिलीलीटर पानी पीकर तथा धूप एवं हवा से शरीर के लिए ऊर्जा प्राप्त कर यात्रा कर रहे हैं। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में जिनकी मेडिकल जांच की कराई गई। मेडिकल जांच में उनके सारे वाईटल मैट्रिक्स सामान्य या सामान्य से बेहतर पाए गए। उन के शरीर को यह ऊर्जा कैसे प्राप्त हो रही होगी ?    शरीर के लिए प्रोटीन कैलोरी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, टेंपरेचर, धूप छांह, सब की जरूरत होती है। इसे प्राप्त कर  शरीर में  आवश्यकता अनुसार संप्रेषित कौन करता है ?   कौन सा तत्व है जो अभौतिक घटकों  जैसे विचारों, भावों, गुणों, आदि को रेग्यूलेट करता है ?    बेशक वह तत्व आत्मा ही है। आत्मा के अस्तित्व की पुष्टि पुनर्जन्म की अवधारणा से भी होती है।   भारतीय ग्रंथों, जैसे श्रीमद् भगवत गीता, में आत्मा के होने के साथ साथ उसकी अमर होने का प्रमाण दिया है।   भगवान श्री कृष्ण के कथन के अनुसार, आत्मा न जलाई जाती है, न काटी जा सकती है, न उसे कभी भी समाप्त किया जा सकता है। बौद्ध साहित्य में ललित विस्तार, त्रिपिटक, अश्वघोष द्वारा रचित बुद्धचरित्र एवं अन्य बहुत सी प्रमाणित पुस्तकों में लिखा है की मायादेवी ने स्वप्न में एक श्वेत हाथी को उनके गर्भ में घुसते हुए देखा था।  महामाया जिस दृश्य को स्वप्न में देख रहीं थी।  बुद्ध का अवतरण तुषितलोक से हाथी के रुप में हुआ था।  धार्मिक एवं सांस्कृतिक संदर्भ में, महात्मा बुद्ध के जन्म की यह कथा यदि सत्य है तो आत्मा की अस्तित्व को स्वीकार करना चाहिए ।   बुद्ध के जन्म से संबंधित कहानियों को काल्पनिक मानने का साहस कैसे किया जा सकता है ? यदि हम इन घटनाओं को अस्वीकार करते हैं, तो स्वयं हमारी ही सोच के मानदंड भी ध्वस्त हो जाते हैं। विज्ञान के इस युग में मनो चिकित्सक इयान स्टीवंसन के अनुसंधान में 2000 से अधिक पुनर्जन्म  प्रकरणों का अध्ययन किया , जिन्हें सही भी पाया। जबकि भारत में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस के डॉक्टर सतवंत पसारिया की पुनर्जन्म पर 500 घटनाओं रिसर्च से 77 प्रतिशत रिजल्ट सकारात्मक पाए गए , यद्यपि यह एक जटिल विषय है फिर भी, इससे बचने के लिए नकार देना कहां तक उचित है। यह सवाल जटिल है, फिर भी हमारे योगियों तथा महान दार्शनिकों, भगवान महावीर, भगवान बुद्ध, पतंजलि, योगी महा अवतार आदि  ने बड़ी सरलता से हल किया है।     

 Our top Videos./ Podcast

https://youtu.be/okBsbgXv_l8 https://youtu.be/GdQDQIEZDKM https://youtu.be/WPRcuecDqxI https://youtu.be/AnQA20LQPDE https://youtu.be/aXFO15hSZfY https://youtu.be/SX3HIRjJtLk --- #पुनर्जन्म #प्राण #प्राणी #जीव #पॉडकास्ट Disclaimer: The voice used in this video is cloned voice of Dr. Shipra Sullere with her permission.This use is permitted by YouTube.This cloned voice is not used for any other purpose. --- Mysteries of the soul | आत्मा होती ही नहीं ? आलेख : गिरीश बिल्लौरे मुकुल स्वर : डॉ. शिप्रा सुल्लेरे पार्श्व संगीत : अनुष्का सोनी तकनीकी सहयोग: सिद्धार्थ गौतम

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणियाँ कीजिए शायद सटीक लिख सकूं

ad

कुल पेज दृश्य