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सोमवार, 29 जून 2009
एक ख़त : पहले प्यार को
आज तुम्हें खुश देख कर खुश हूँ ! डूबता उतराता उन बीते दिनों कि यादों में जब तुमने नेह अनुबंधन प्रस्ताव रखा और मैं छिटक गया था तुमसे
सच कितना भी छिपाए छिप नहीं सकता मेरा मन भी उसके आकर्षण में बंधा सुंदर सपने बुन रहा था. तुम्हारे मन में मन में भी प्रेम का संचार हुआ की नहीं इस बात कि तस्दीक़ में कई महीने लग गए थे. आज इस ख़त में तुम्हारे नख-शिख वर्णन गैर ज़रूरी है. मुझे भय है कि कोई पहचान के तुम्हें रुसवा न कर दे .जी हाँ मेरी स्वप्न प्रिया सी मेरे सपनों में बस चुकी हो आज भी अक्सर मेरे स्वपन में आ जाती हो मेरी प्रथम प्रेयसी ... मुझे यह कहने ...........कि तुम कायर थे तुम से इज़हार न किया गया मैं तो चिर प्रतीक्षिता सी आज भी तुम्हारी बाट जोह रही हूँ ..
सच मैं आज भी तुम्हारी उन गहरी आँखों के अनुबंध को बांच लेता हूँ ...मुझे याद है कि तुम्हारे बिना मेरी मेरी सुबह सुबह नहीं होती थी . किन्तु सच यह भी है कि मुझसे ज़्यादा ज़रुरत थी उसे जो शायद न जी पाता तुम्हारे बिना उसी ने एक सुबह तुम पर लिखा प्रेम गीत मुझे सुनाया था ..... तरुण मुझसे ज़्यादा साहसी था जिसने तुम पर लिखा प्रेम गीत मुझे सुना कर नि:शब्द कर दिया था मुझे और मैं हट गया तुम्हारी राह से
आज यह ख़त अपनी डायरी से निकाल ब्लॉग पर लिख रहा हूँ . ख़त में कोई बात नहीं हैं बात है तो सिर्फ इतनी कि मेरी प्रिया आज भी मेरी प्रिया हो . तुम को पाकर ख़ुशी देता तुम्हें या खुद को छिपाकर एक ही बात है न !
अनवरत स्नेह के साथ
तुम्हारा ही
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में।
शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी
छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन
सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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:) क्या प्यार है मान गये जी
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