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बुधवार, 14 मई 2025

विज्ञापनों में बच्चों के उपयोग पर नवीनतम कानूनी और नैतिक दिशानिर्देशों Grok AI से

विज्ञापनों में बच्चों के उपयोग पर नवीनतम कानूनी और नैतिक दिशानिर्देशों पर 
 यह जानकारी भारत और अंतरराष्ट्रीय संदर्भों को ध्यान में रखकर संकलित की गई है, जिसमें वेब स्रोतों और उपलब्ध दिशानिर्देशों का विश्लेषण शामिल है:
भारत में कानूनी और नैतिक दिशानिर्देश:
1. **एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI)**:
   - ASCI के दिशानिर्देशों में बच्चों को लक्षित करने वाले विज्ञापनों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। दिशानिर्देश 8 स्पष्ट रूप से कहता है कि बच्चों को लक्षित या उनसे संबंधित विज्ञापनों को उनकी सीमित जागरूकता और समझ के कारण भ्रामक या हानिकारक नहीं होना चाहिए।[]
   - विज्ञापनों में बच्चों को असुरक्षित या खतरनाक गतिविधियों (जैसे स्टंट) में शामिल नहीं दिखाया जाना चाहिए।
   - बच्चों को अनुचित उत्पादों (जैसे तंबाकू, शराब, या अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ) के प्रचार में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
   - विज्ञापनों को बच्चों के माता-पिता पर अनुचित दबाव डालने से बचना चाहिए, जैसे कि उत्पाद खरीदने के लिए प्रेरित करना।[

2. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA)
   - CCPA भ्रामक विज्ञापनों और अनैतिक विपणन प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी करता है। यह बच्चों के संदर्भ में पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर देता है, विशेष रूप से सोशल मीडिया प्रभावितों और सेलिब्रिटी समर्थन में।
[](https://plutusias.com/%25E0%25A4%25AD%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A4-%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%2582-%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25A1%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B7%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AA%25E0%25A4%2595/)
   - बच्चों को लक्षित विज्ञापनों में उत्पाद के दावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने पर रोक है, खासकर स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित उत्पादों के लिए।

3. **बाल श्रम (निषेध और नियमन) अधिनियम, 1986 (संशोधन 2016)**:
   - यह कानून बच्चों (14 वर्ष से कम) के लिए विज्ञापन उद्योग में काम करने की शर्तों को नियंत्रित करता है। इसमें काम के घंटे, माता पिता की सहमति , सुरक्षा,और सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के प्रावधान हैं।
   - बच्चों को विज्ञापनों में शामिल करने के लिए माता-पिता या अभिभावक की सहमति अनिवार्य है।

4. डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDPA), 2023
   - DPDPA की धारा 9 में बच्चों (18 वर्ष से कम) के डेटा के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए तीन शर्तें दी गई हैं:
   सत्यापन योग्य अभिभावकीय सहमति : विज्ञापनों में बच्चों के डेटा का उपयोग करने के लिए माता-पिता की सहमति जरूरी है।
 बाल कल्याण : डेटा प्रोसेसिंग में बच्चे के कल्याण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
 लक्षित विज्ञापन पर प्रतिबंध
 बच्चों पर व्यवहारिक निगरानी या लक्षित विज्ञापन प्रतिबंधित हैं।
अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देश
1. COPPA (Children's Online Privacy Protection Act, USA)*l
   - COPPA 13 वर्ष से कम आयु के बच्चों की ऑनलाइन गोपनीयता की रक्षा करता है। विज्ञापन अनुरोधों को "बच्चों के लिए" चिह्नित करना अनिवार्य है, ताकि रुचि-आधारित या रीमार्केटिंग विज्ञापन न दिखाए जाएं।
   - विज्ञापनदाताओं को माता-पिता की सहमति लेनी होती है, और बच्चों के डेटा का उपयोग सख्ती से नियंत्रित होता है।
2. GDPR (General Data Protection Regulation, EU):
   - GDPR बच्चों के डेटा की प्रोसेसिंग के लिए सख्त नियम लागू करता है। 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए अभिभावकीय सहमति अनिवार्य है।
   - बच्चों को लक्षित विज्ञापनों में उनकी मासूमियत या अनुभव की कमी का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता।
3. ऑडियोविजुअल मीडिया सर्विस डायरेक्टिव (AVMSD, EU) 
   - EU और UK में विज्ञापनों को बच्चों को उकसाने या उनकी मासूमियत का फायदा उठाने से रोकने के लिए नियम हैं। उदाहरण के लिए, विज्ञापनों में बच्चों को उत्पाद खरीदने के लिए माता-पिता पर दबाव डालने की अनुमति नहीं है।
   - शराब, तंबाकू, और प्रिस्क्रिप्शन दवाओं जैसे उत्पादों के विज्ञापन बच्चों को लक्षित नहीं कर सकते।
4. Google और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म की नीतियां:
   - Google की नीतियां बच्चों के लिए बनाए गए विज्ञापनों को सुरक्षित और प्रासंगिक बनाने पर जोर देती हैं। कुछ श्रेणियों (जैसे वयस्क सामग्री, जुआ, या डरावना कंटेंट) के विज्ञापन 18 वर्ष से कम आयु के उपयोगकर्ताओं के लिए प्रतिबंधित हैं।
   - YouTube और Google Display Network पर बच्चों के लिए कंटेंट के लिए विशेष नीतियां लागू होती हैं, जो बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देती हैं नैतिक दिशानिर्देश:
1. बच्चों की मासूमियत का सम्मान:
   - विज्ञापनों को बच्चों की भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्थिति का शोषण नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए, बच्चों को सामाजिक स्थिति या लोकप्रियता से जोड़कर उत्पादों का प्रचार अनैतिक माना जाता है।
2. पारदर्शिता और ईमानदारी
   - विज्ञापनों में उत्पादों के बारे में सटीक जानकारी दी जानी चाहिए। बच्चों को गुमराह करने वाले दावे (जैसे "यह खिलौना आपको सबसे अच्छा बनाएगा") से बचना चाहिए।
3. **सामाजिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता**:
   - विज्ञापनों को धार्मिक, सामाजिक, या नैतिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से बचना चाहिए। बच्चों को शामिल करते समय सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है।
4. स्व-नियमन
   - विज्ञापन उद्योग को स्व-नियमन के माध्यम से नैतिकता और पारदर्शिता को बढ़ावा देना चाहिए। उदाहरण के लिए, ASCI उपभोक्ता शिकायतों की सुनवाई के लिए एक पैनल रखता है, जो भ्रामक या अनैतिक विज्ञापनों पर कार्रवाई करता है।
### हाल के रुझान और चुनौतियां:
- **डिजिटल विज्ञापन**: सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बच्चों को लक्षित विज्ञापनों की बढ़ती संख्या के कारण गोपनीयता और डेटा सुरक्षा प्रमुख चिंताएं हैं। DPDPA और GDPR जैसे कानून इन मुद्दों को संबोधित करते हैं।[] मीडिया प्रभावितों द्वारा बच्चों को लक्षित विज्ञापनों में पारदर्शिता की कमी एक उभरती समस्या है। CCPA और ASCI ने इसके लिए जवाबदेही बढ़ाने के दिशानिर्देश जारी किए हैं।
- जागरूकता की कमी: उपभोक्ताओं, विशेष रूप से माता-पिता, को भ्रामक विज्ञापनों के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है। जन जागरूकता अभियान इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
निष्कर्ष:
विज्ञापनों में बच्चों का उपयोग तब तक उचित हो सकता है, जब तक यह सख्त कानूनी और नैतिक दिशानिर्देशों के तहत हो। भारत में ASCI, CCPA, और DPDPA जैसे ढांचे बच्चों की सुरक्षा, गोपनीयता, और कल्याण को प्राथमिकता देते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर COPPA, GDPR, और AVMSD जैसे नियम बच्चों के शोषण को रोकने के लिए मजबूत मानक प्रदान करते हैं। विज्ञापन उद्योग को स्व-नियमन, पारदर्शिता, और बच्चों के हितों को प्राथमिकता देकर नैतिकता बनाए रखनी चाहिए।
सुझाव: माता-पिता और उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत ASCI या CCPA जैसे निकायों में दर्ज करानी चाहिए। 

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