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शनिवार, 24 अगस्त 2024

हां.. पृथ्वी शेषनाग पर है !

पृथ्वी शेषनाग पर टिकी हुई है ।
   इसका अर्थ क्या है ?
  इस बात को समझने के लिए हमें अपनी गैलेक्सी यानी मिल्की वे आकाशगंगा के बारे में विचार करना चाहिए।
   क्षीर मार्ग अर्थात दूध का रास्ता इसे अंग्रेजी में मिल्की वे कहते हैं।
हमारे ईश्वर विष्णु इस आकाशगंगा या गैलेक्सी के नियंता हैं।
अब तक हुई रिसर्च के अनुसार हमारी गैलेक्सी में  लगभग 400 अब तारीख अर्थात सूर्य है।
प्रत्येक तारीख का अपना सौरमंडल है , क्योंकि हर तारे में गुरुत्वाकर्षण शक्ति है । यह जरूरी नहीं की किसी अन्य सौरमंडल में ग्रहों की संख्या हमारे सूर्य के समान हो। वैज्ञानिक अनुसंधान बताते हैं कि हमारी गैलेक्सी में लगभग 50 अरब ग्रह के होने की संभावना है, इनमें से 50 करोड़ तारे ऐसे हैं, जीवो के जीवन के अनुकूल तापक्रम हवा पानी मौजूद है। अब आप सोच रहे होंगे कि
मिल्की वे गैलेक्सी , शेषनाग और सूर्य तथा उसके चक्कर लगाने वाले पिंडों की संख्या का क्या अंतर्संबंध है ?
भारतीय सभ्यता के प्राचीन साहित्य में विशेष रूप से महाभारत एवं उसके उपरांत लिखे गए साहित्य में क्षीर सागर शब्द का प्रयोग किया है।

क्षीर सागर अर्थात दूधिया सागर ?
  हमारी आकाशगंगा भी दूधिया रंग की है। और इसकी आकृति *सर्पिल* ।
आप ठीक समझ रहे हैं हमारी पृथ्वी शेषनाग के फन पर है।
  ईश्वर तत्व के अस्तित्व के प्रमाण के लिए तथा शेषनाग की थ्योरी पर सवाल उठाने वाले विद्वान तर्कशास्त्रियों के लिए को सम्मान सहित बताना आवश्यक है कि पृथ्वी जिस आकाशगंगा में है वह शेषनाग के रूप में है। 
फोटो स्रोत : गूगल
#पौराणिक_कहानियों_का_अर्थ 
#शेषनाग #आकाशगंगा 

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