अल्ल सुबह की मधुर तान
गूंजित प्रिय का तब मधुर गान
कोयल भी कूक उठी तब ही ?
मन हतप्रभ था सुन युक्त-गान..!!
******
अंतस में द्वंद उठा तब फ़िर
कोयल तो झूठी होती है..
वो गीत सुनाती दुनियां को
कागी अण्डों को सेती है
******
प्रिय का निर्दोष गीत सुनने
ललकारा कोयल को ज्यों ही
प्रिय बोलीं:-"मैं पास सहज"
कोयल बैर से क्यों की ?
******
हतप्रभ हूं पर जान गया
प्रिय तुमको पहचान गया
तुम संवेदित भाव पुंज
तुम मेरा हो अभिमान प्रिया..
गूंजित प्रिय का तब मधुर गान
कोयल भी कूक उठी तब ही ?
मन हतप्रभ था सुन युक्त-गान..!!
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अंतस में द्वंद उठा तब फ़िर
कोयल तो झूठी होती है..
वो गीत सुनाती दुनियां को
कागी अण्डों को सेती है
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प्रिय का निर्दोष गीत सुनने
ललकारा कोयल को ज्यों ही
प्रिय बोलीं:-"मैं पास सहज"
कोयल बैर से क्यों की ?
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हतप्रभ हूं पर जान गया
प्रिय तुमको पहचान गया
तुम संवेदित भाव पुंज
तुम मेरा हो अभिमान प्रिया..
koyal apni madhurta ke piche chaal chalti hai ,rang ka fayda uthati hai
जवाब देंहटाएंहतप्रभ हूं पर जान गया
जवाब देंहटाएंप्रिय तुमको पहचान गया :)
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएं--
चौमासे में श्याम घटा जब आसमान पर छाती है।
आजादी के उत्सव की वो मुझको याद दिलाती है।।....