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रविवार, 3 जुलाई 2011

हम बोले तो पलक झुका लीं


तुमने बिन बोले सब बोला, हम बोले तो पलक झुका लीं
अपलक देखा करती मुझको, सन्मुख आके नज़र हटा लीं
हमने कितनी रात बिताईं.. भोर से पहले तारे गिनके...
तुम कब आओगी छज्जे पे.. बैठे है हम ले कर’-मनके..!
तुम आईं भी देखा भी था, नयन मिले तो पीठ दिखा दी .!



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