उत्तमा दीक्षित जी की तूलिका से उभरे चित्र को इस गीत के सन्दर्भ में देखिये माई रे मैं कासे कहूं ?फिल्म दस्तक के इस गीत को लता मंगेशकर मदन मोहन ने गाया है , अगर वायलिन पे सुना जाए तो प्रभाकर जोग साहब का कमाल भी कम नहीं. आज़ जिस भाव से इस चित्र को देखा तो तुरंत दस्तक के गीत का याद आना मेरे लिये रोमांचित करने वाला एहसास था. सुना हाँ खूब सुना . फिर क्या हुआ इस बात को आपसे शेयर न कर पाउंगा जानतें हैं क्यों ? आप को वो एहसास नहीं हो पाएगा कालजयी कला का आनंद आप भी उठाएं आपका अपना चिन्तन अपने भाव हैं मेरा हस्तक्षेप जायज़ नहीं.
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शुक्रवार, 12 नवंबर 2010
अंतर्वेदना का चित्र गीत : उत्तमा दीक्षित की तूलिका लता जी मदन मोहन साहब के सुर
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में।
शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी
छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन
सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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अद्वितीय...अनुपम...अद्भुत...अलौकिक...आनन्द की अनुभूति...आभार
जवाब देंहटाएंउत्तमा जी की तूलिका को स्वर देने का आपका यह अन्दाज निराला है
जवाब देंहटाएंवाह...मिल गया...इस गीत को मैं कब से ढूंढ रहा था, पूरा सुना और डाउनलोड भी कर लिया। बहुत ही प्यारा गीत है, क्या अनोखी धुन बनाई है मदन मोहन साहब ने, सभी 12 सुरों का प्रयोग किया है।...दुर्लभ गीत है ये। मैं भी इस गीत को कभी कभी वायलिन पर बजाने की कोशिश करता हूं।
जवाब देंहटाएं...आपको बहुत बहुत धन्यवाद।
बढ़िया प्रस्तुति..आनंद आ गया ...
जवाब देंहटाएंउत्तमा जी तो सर्वोत्तम हैं जी
जवाब देंहटाएंअविनाश जी सभी आदरणीयों का आभार
जवाब देंहटाएंfilm Rajendra Sigh Bedi ki thi dastak ek drishya dashkon baad bhi mere jehan men hai. Madan Mohan ki awaj men yah geet kamal ka hai.
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