तुम संग नेह की जोत जगा के
हमने जीते जीवन के तम ..!
********************
धीरज अरु व्याकुलता पल के
द्वन्द मचाते जीवन पथ में ,
तुमसे मिल के शांत सहज सब
मन बैठा विजयी सा रथ में !!
कितने पावन हो तुम प्रियतम
********************
नेह-परोसा, लेकर जो तुम
आते मेरे सन्मुख जब भी ,
तृप्ति मुझे मिल जाया करती
रन-झुन पायल ध्वनि से तब ही !
कितने पावन हो तुम प्रियतम !!
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इधर सुन भी लीजिये जी
Wikipedia
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सोमवार, 14 जून 2010
मन बैठा विजयी सा रथ में !!
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में।
शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी
छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन
सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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नेह-परोसा' वाह क्या शब्द चयन किया है
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव
अच्छा लगा पढकर
नेह-परोसा, लेकर जो तुम
जवाब देंहटाएंआते मेरे सन्मुख जब भी ,
तृप्ति मुझे मिल जाया करती
रन-झुन पायल ध्वनि से तब ही !
कितने पावन हो तुम प्रियतम !!
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अच्छे शब्द-संयोजन के साथ बढ़िया रचना!
waah adbhut...sundar shringaar rachna...shabd aur bhaav sanyojan lajawaab...
जवाब देंहटाएंप्रियतम शब्द में ही ऊर्जा है ।
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्द चयन ,अच्छी अभिव्यक्ति ।
सुंदर कविता...बहुत ही एहसास भरी..धन्यवाद गिरीश जी
जवाब देंहटाएंबढ़िया...
जवाब देंहटाएंतृप्ति मुझे मिल जाया करती
जवाब देंहटाएंरन-झुन पायल ध्वनि से तब ही !
Beautiful Creation !
बहुत खूबसूरत कविता......
जवाब देंहटाएंमंगलवार 15- 06- 2010 को आपकी रचना ( हां..! ये शाम उस शाम से जारी)... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंनत मस्तक हूं सुधि जन
जवाब देंहटाएंExcellent....
जवाब देंहटाएंNeh ki jyot... har lafz pyaar se bharpur ...!