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रविवार, 13 जून 2010
तेरा चेहरा आईने जैसा : जगजीत सिंग
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में।
शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी
छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन
सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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वाह क्या बात है ? तेरा चेहरा है आइने जैसा .. खूबसूरत गज़ल और वह भी रात के एक बज़े सुनने का मज़ा ही कुछ और है .. और सुनने के साथ उस के बारे मे लिखने का मज़ा ही कुछ और है ।
जवाब देंहटाएं"दोस्त मिल जायेंगे कई लेकिन ,न मिलेगा कोई मेरे जैसा "
अरे ये गिरीश बिल्लोरे है ना वो ऐसा ही कुछ करते है .. अब रात को एक बजे कह रहे हैं .. जीजू.. ये गज़ल तो सुन लो ..और लिंक भेज दी । लो भई सुन लिये और आनन्द भी ले लिये .. अब आप धन्यवाद तो ले लो ।
बहुत बढिया गीत .. आपका आभार !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुकून सा आ गया सुनकर
आईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति आभार
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