हिन्दी फिल्मसंगीत और प्रेम में गहरा अंतर्संबंध माया नगरी के चितेरों ने उन दिनों सदाबहार गीतों से जोड़ लिया था सारे देश को. सच्चाई छुप नहीं सकती,ओ मेरी शर्मीली ,अजनबी तुम जाने पहचाने ,ये जो मोहब्बत है ,माना जनाब ने पुकारा नहीं
इन गीतों को सुन कर आपके सारे तनाव दूर हो जाएंगें यकीनन किशोर दा की आवाज़ का कोई विकल्प दूसरा .......? आज के दौर में कोई नहीं . उस दौर की इस आवाज़ की कशिश से तो आप परिचित ही है ओह रे ताल मिले नदी के जल में सुनके तो आप मस्त हो ही जाएंगें . अरे जी लता जी को मैं क्यों भूलूं इस गीत को सुन के उनकी याद में कोरें भीग गईं आप भी सुनिए आजा पिया तोहे प्यार दूं और हाँ उनकी याद में जिनके लिए गुनगुनाया करता था मैं ये गीत "कितना प्यारा वादा है "कभी क्वाबों में सोचता कि मेरे सपनों कि रानी कब आयेगी जी हाँ तब जब उनके बिना ज़िंदगी काटनी पडी तो जब भी पहली प्रीत याद आती है यही गाने गुनगुनाने को मन करता है:-"दिल जो न कह सका " तुम भी तो यही कुछ गुनगुनाया करतीं थीं है न कुछ यूं दिल जो न कह सका तय तो " दूर निकल चलना "
फिर क्यों रुक गए थे तुम्हारे कदम शायद हम तुम हताश थे अपनी अपनी प्रतिबद्धताओं के निर्वहन के लिए बंधे अब उस दौर के गीत गुम हुए इस शोर गुल में मेरा नीला आसमान सो गया सच अब तो बस ख़्वाब में कभी ये चित्र चलतें हैं ये कहाँ आ गए हम ?
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साभार:-http://www.in.com/
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आजा पिया तोहे प्यार दूं -सुन रहे हैं अभी!!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार!!
आपका बहुत आभार!!
जवाब देंहटाएंwaah bahut sundar geeton ka collection hai..post prastuti ka tareeka bhi badhiya.
जवाब देंहटाएंआभार!!
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