अधरों ने अथक प्रयास किए
पर कह न सके मन की बातें।
हमसे न हुई थी मुखर प्रीत
संग बोझिल दिन बेबस रातें ।।
अधरों......!
कुछ प्रतिबंधों का भय था तब
कुछ अनुबंधों की कस्में थीं ।
"न" से डर लगता था मन को
कुछ अनबोली सी रस्में थीं ।।
छोड़ो जाने भी दो, उनको-
थीं वो बीते पल की बातें ।।
अधरों.......!
दुनिया भर की जिन रीतों से
मेरा मन तन अब तक रीता है।
इस दोराहे पर फिर से मिल
मन भरम के सावन जीता है।।
पर प्रीत के पहले पल को
हम हैं कि भूल नहीं पाते ।।
अधरों......!
पर कह न सके मन की बातें।
हमसे न हुई थी मुखर प्रीत
संग बोझिल दिन बेबस रातें ।।
अधरों......!
कुछ प्रतिबंधों का भय था तब
कुछ अनुबंधों की कस्में थीं ।
"न" से डर लगता था मन को
कुछ अनबोली सी रस्में थीं ।।
छोड़ो जाने भी दो, उनको-
थीं वो बीते पल की बातें ।।
अधरों.......!
दुनिया भर की जिन रीतों से
मेरा मन तन अब तक रीता है।
इस दोराहे पर फिर से मिल
मन भरम के सावन जीता है।।
पर प्रीत के पहले पल को
हम हैं कि भूल नहीं पाते ।।
अधरों......!
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