*कौन होगा अब निराला*
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सभी अपने खंड में हैं !
और कुछ पाखंड में हैं !!
सभी की अपनी है मदिरा
सभी का अपना है प्याला !
कौन होगा अब निराला ?
एक अक्खड़ सादगी थे ।
विषमता के पारखी थे ।।
निगलते तो निगल लो -
कष्ट का सूखा निवाला ।।
कौन होगा अब निराला ?
वो गुलाबी झड़प उनकी
याद है न तड़प उनकी ?
शब्द के हथियार लेकर
मोरचा कैसे सम्हाला !!
कौन होगा अब निराला ?
शारदा से मांगना वर
शब्द उनके सभी के स्वर
कदाचित मिले तो बताना -
वृक्ष निराला , छायावाला !!
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*
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