मैं प्रीत का सागर हॄदय में
लेकर तुम्हारी प्रतीक्षा में
तुम उधर लहरों के संग
जूझते होंगे यकीनन ।।
मैं हिय के ज्वार से बेचैन हूँ ।।
विश्वास है तुम ने
लहरों को नियंत्रित कर लिया है
भयावह लहरों को पतवार से
मेरे मन में उभरते प्रेम जैसा
अपने वश में कर लिया है ।।
मेरे मन की लहरों के
इस ज्वार का मैं क्या करूँ ?
आओ प्रियतम
अभिसार के बिन
बांध का धीरज न टूटे ।
याद आते हैं मिलन
पल प्रियसंग जो थे अनूठे ।।
फोटो : मुकुल यादव
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