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मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

प्रीत का सागर हॄदय में लेकर तुम्हारी प्रतीक्षा में


मैं प्रीत का सागर हॄदय में 
लेकर तुम्हारी प्रतीक्षा में  
तुम उधर लहरों के संग 
जूझते होंगे यकीनन ।।
मैं हिय के ज्वार से बेचैन हूँ ।।
विश्वास है तुम ने 
लहरों को नियंत्रित कर लिया है
भयावह लहरों  को पतवार से
मेरे मन में उभरते प्रेम जैसा
अपने वश में कर लिया है ।।
मेरे मन की लहरों के 
इस ज्वार का मैं क्या करूँ ?
आओ प्रियतम 
अभिसार के बिन 
बांध का धीरज न टूटे ।
याद आते हैं मिलन 
पल प्रियसंग जो थे अनूठे ।।
फोटो : मुकुल यादव 

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