काजल बिंदी सूरमा, नैन सजें अरु भाल
सुन प्रिय की पदचाप को, हो गए गाल गुलाल ।।
झूठै कागा बोलते, प्रियतम पथ पै आय ।
झूठी आसा में सखि, दोगुन पाक पकाय ।।
पिया बियाही आत्मा, विरह अगन चहुँ ओर
भोर नींद गहरी लगी, कागा करते शोर ।।
कौई देह की राग संग , कैसे ताल मिलाय ।
जो कस पाए ढोलकी, वोही ताल मिलाय ।।
सुनो मुकुल खुल्ला कहे, बैर प्रीत मदपान
सीमा बंधन होय तो , सब कछु अमिय समान ।।
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वास कैसे बनाये रखे