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मंगलवार, 5 सितंबर 2017

हिजाब मेरा अगरचे खिसका , तो तंज़ कसके मुझे रुलाया !!


कंगना रनौत के साथ ऋतिक रौशन की नाइंसाफी से मुतासिर ये ग़ज़ल शायद किसी के लिए एक सीख बने  ........ औरत के खिलाफ सोच को बदलने के लिए और कंगना की बहादुरी के लिए ... सैल्यूट के साथ ... 
यूँ हज़ारों औरतें इसी तरह की नाइंसाफी की शिकार हैं ......... वज़ह है उनकी  चुप्पी .. चुप्पी तोड़नी होगी कंगना की तरह  

जो  तोड़ी  चुप्पी तो सलवटों ने,
किसी  के  माथे पे घर बनाया
किसी ने अपना छिपाया चेहरा ,
किसी का रुतबा है तमतमाया, !
रिवायतें जो  बदलते देखीं
सनम को अपने  वो लेके आया ..
जहां कहीं भी उठी जो अंगुली,
तुम्हीं ने है आ मुझे जलाया  !!
न तोडूं चुप्पी तो सलवटें भी ,
किसी के माथे पे न बसेंगी –
है इश्क में गर ये सारे बंधन , 
तो ऐसा सौदा मुझे न भाया !!
ग़ज़ल कहा था तुम्हीं मुझको,
मुझे ही सबसे कहा हंसीं था-
हिजाब मेरा अगरचे खिसका ,
तो तंज़ कसके मुझे रुलाया !!

    


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