गीत : रंग इश्क का वा भई वा !
मौज इश्क की वा भई वा
रंग इश्क का वा भई वा !
ज़हर का प्याला पी गई मीरा
परबत को दशरथ ने चीरा
असर इश्क का वा भई वा ... !!
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सांप को रस्सी बनाके के इक ने
कर दी महाकाव्य की रचना
मूरख ने भी ग्रंथ दे दिए –
साथी बोलो यही था सच न !
असर इश्क का वा भई वा ... !!
मौज इश्क की वा भई वा
रंग इश्क का वा भई वा !
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इश्क देख खुसरो का नाचूं
सूरा के नयनों से बांचूं –
बुल्ले शा सा बेसुध होके
रोज़ नए काफिया राचूं !!
असर इश्क का वा भई वा ... !!
मौज इश्क की वा भई वा
रंग इश्क का वा भई वा !
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इश्क उमर-खैयाम निराला
इश्क मुझे है मीरा वाला ..
साजन का पथ मैं जानूं हूँ
जिसपे खुद मैं जाने वाला !
राह इश्क की वा भई वा !!
मौज इश्क की वा भई वा
रंग इश्क का वा भई वा !
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