फ़ागुन बेढप सा लगे, मौसम करे निरास ,
प्रिय बिन जारी है यहां, आंखों का उपवास !!
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नेह निवाले हाथ में, थामू कब तक बोल ?
मुझे देखना छोड़ के कान्हा अब मुंह खोल !!
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प्रीत पगी बानी सुनी, बढ़ा रक्त संचार
पागल मुझको कह रहा, ख़ुद पागल संसार !!
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बीते पल पीछा करें, मन में भरा मलाल
इस फ़ागुन बेकार सब, टेसू-रंग-गुलाल !!
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और अब सुनिये ये गीत
बहुत ही सुन्दर मुक्तक..
जवाब देंहटाएं:-)
Sunder muktak dada
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