एक सुबह से
हां सलोनी सुबह से मिल के..
तरोताज़ा हूं....!!
सुबह जो तुम हो
सुबह जो
बहुत दूर से आती है
शीतल मंद मंद
मुस्कान लिये ...
नंगे पांव जब
हरी हरी दूब में चलता हूं
तुम्हारा कर्ज़दार सा
तुम्हारे उपकार का
आभार जता आता हूं
पास वाले रास्ते के मंदिर में
जो सुना है कल
टूट जाएगा
अदालती फ़रमान की वज़ह से
बताओ.. सुबह कैसे किससके ज़रिये कह सकूंगा
तुम्हारा आभार...
खैर तुम जो
मेरी हो तो मेरी आवाज़ भी सुन ही लोगी
जानती हो न
प्रेम की ध्वनियां
दूर तलक
देर तलक
सदा ही बसी रहती
प्रकृति में
मुझे यक़ीन है ..
"सुबह.."
वो तुम ही तो
जिससे मुझे
प्यार है..!!
सुबह तुम
हमेशा मेरी ही हो
है न ??
हां सलोनी सुबह से मिल के..
तरोताज़ा हूं....!!
सुबह जो तुम हो
सुबह जो
बहुत दूर से आती है
शीतल मंद मंद
मुस्कान लिये ...
नंगे पांव जब
हरी हरी दूब में चलता हूं
तुम्हारा कर्ज़दार सा
तुम्हारे उपकार का
आभार जता आता हूं
पास वाले रास्ते के मंदिर में
जो सुना है कल
टूट जाएगा
अदालती फ़रमान की वज़ह से
बताओ.. सुबह कैसे किससके ज़रिये कह सकूंगा
तुम्हारा आभार...
खैर तुम जो
मेरी हो तो मेरी आवाज़ भी सुन ही लोगी
जानती हो न
प्रेम की ध्वनियां
दूर तलक
देर तलक
सदा ही बसी रहती
प्रकृति में
मुझे यक़ीन है ..
"सुबह.."
वो तुम ही तो
जिससे मुझे
प्यार है..!!
सुबह तुम
हमेशा मेरी ही हो
है न ??
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