प्रेम की मदिर स्मृतियों मे तुम्हारी सुमधुर
आवाज़ में गीत प्रेम गीत
बार बार याद आ रहा है
और याद आ रही हो तुम इस वेला
सच प्यार के वे पल जो मैं जीता हूं
शायद ही किसी को नसीब हुए हों..!!
सच है न.. पोर-पोर प्यार भीगा मैं
अनाभिव्यक्त मदालस प्रीत की गंध
अब तक दिलो-दिमाग़ से ज़ुदा न कर पाया
सच ........ तुम कहां हो
मैं अकेला कहां आ गया
बस तन्हाई से अक्सर ये बातें करता हूं
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंभइयादूज की शुभकामनाएँ♥3
....सुन्दर प्रस्तुति....भाईदूज की शुभकामनाएं...गिरीश जी
जवाब देंहटाएंbadhiya va anokhe andaz me prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अंदाज और अल्फाज!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!