प्रेम की पहली उड़ान है
तुम तक मुझे बिना पैरों
के ले आई..!
तुमने भी था स्वीकारा मेरा न्योता
वही मदालस एहसास
होता है साथ
होता है साथ
तुम जो कभी कह न सकीं
मैं जो कभी सुन न सका
उसी प्रेमिल संवाद की तलाश थी
प्रेम जो देह से ऊपर
प्रेम जो ह्रदय की धरोहर
उसे संजोना मेरी तुम्हारी जवाबदारी
नहीं हैं हम पल भर के अभिसारी
उन दो तटों सी जी साथ साथ रहतें हैं
बीच उनके जाने कितने धारे बहते हैं
अनंत तक साथ साथ
होता है मिलने का विश्वास
वाह ....
जवाब देंहटाएंदो तटों का यह बिम्ब बेहद खूबसूरत है भाई । जाने कितने पल इनके बीच उपस्थित हैं ।
जवाब देंहटाएंgirishji valantine day ki shubhkamna
जवाब देंहटाएंसमझ में तो आ रहा है, पर लिखूं क्या, मेरे शब्द असमर्थ हैं
जवाब देंहटाएंप्रेम की पहली उड़ान है
जवाब देंहटाएंतुम तक मुझे बिना पैरों के ले आई..!
रहा नहीं न गया...........
आखिर आ गई न ऊंटनी पहाड़ के नीचे
दो किनारों की खूबसूरती को निहारने
सादर
यशोदा