इस गतिमान चित्र को देख आपकी याद ताज़ी हो जावेंगी विकी पीडिया पर इस तस्वीर को देखिये आज दिन भर खबरीले चेनल्स इस खबर के साथ उसी तरह घिस्सा-पीटी करते रहे जैसे अन्य खबरों के संग साथ की जाती है. अब इस तस्वीर को गौर से देखिये एक भारतीय पुरुष की वैवाहिक ज़िंदगी और इस तस्वीर में काफी समानता मिलेंगी....? इधर दिन भर हमको सरकारी छुट्टी न मिलने के कारण दु:खी हमारी श्रीमती जी ने अंत तया आधे दिन का अवकाश आवेदन रखवाकर घर वापस बुला ही लिया. हम भी घर में ठीक सूरज भगवान की तरह कैद करा दिए गए...! बस श्रीमती जी ने स्टार न्यूज़ से लेकर जाने कितने चैनल बदल बदल के देखे दिखाए . बोलीं देखो :यह महा ग्रहण है तुम्हारी राशि पर ठीक भी नहीं है . तुम भीतर ही रहो. काफी मान- मनौअल के बाद छत पर साथ-साथ जाने की अनुज्ञा मिली, सो हमने डिज़िटल कैमरे से फोटो लेनी चाही हमारी इस चाहत को सिरे से खारिजी दी गई ...
इस हार से हारे हमने कहा :- जानेमन, वाकई लंबा ग्रहण है..?
हाँ ..न..!देखिये , चैनल वाले बता रहे थे सात सौ साल बाद आया फिर हज़ार साल बाद आयेगा
''अच्छा ?''
और क्या. तुम भी न ?
हमने पूछा -तो यह ग्रहण सबसे लम्बी अवधी का है ?
''हाँ,भाई हाँ सच यही है .
हम बोले झूठ सफ़ेद झूठ
उन्हौने पूछा :- तो बताओ सच क्या है ?
सच बताऊँ बुरा तो न मानोगी ?
बताओ तो इतनी पहेलियाँ मत बुझाओ जी
तो सुनो सात मार्च १९९२ से जो ग्रहण लगा है उसका निग्रहण अभी तक नहीं हो पाया वो लंबा ग्रहण है की ये वाला ..?
अपनी वैवाहिक वर्षगाँठ को इस तरह सुनते थोड़ा रूठीं तो पर हमने मना लिया किन्तु इस चुहल में अपना अलग आनंद था .
इस
इस हार से हारे हमने कहा :- जानेमन, वाकई लंबा ग्रहण है..?
हाँ ..न..!देखिये , चैनल वाले बता रहे थे सात सौ साल बाद आया फिर हज़ार साल बाद आयेगा
''अच्छा ?''
और क्या. तुम भी न ?
हमने पूछा -तो यह ग्रहण सबसे लम्बी अवधी का है ?
''हाँ,भाई हाँ सच यही है .
हम बोले झूठ सफ़ेद झूठ
उन्हौने पूछा :- तो बताओ सच क्या है ?
सच बताऊँ बुरा तो न मानोगी ?
बताओ तो इतनी पहेलियाँ मत बुझाओ जी
तो सुनो सात मार्च १९९२ से जो ग्रहण लगा है उसका निग्रहण अभी तक नहीं हो पाया वो लंबा ग्रहण है की ये वाला ..?
अपनी वैवाहिक वर्षगाँठ को इस तरह सुनते थोड़ा रूठीं तो पर हमने मना लिया किन्तु इस चुहल में अपना अलग आनंद था .
इस
बड़े हिम्मती हो भाई जो चुहल में ही सही, ऐसा कह पाये. हम तो जिस दिन चुहल में ऐसा कह दें, उस दिन के बाद से समझो ग्रहण ही ग्रहण हो आजीवन!! फिर तो अगले जनम में ही लगे अगला.
जवाब देंहटाएंमुकुल भाई जी,
जवाब देंहटाएंकाहे जी छोटा करते हैं...बस सात जन्म की ही तो बात है...ग्रहण से मुक्ति के लिए इतना छोटा सा इंतज़ार भी नहीं कर सकते....(निर्मल हास्य)
जय हिंद...
हा - हा - हा वाह मजेदार।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
ग्रहण तो वाकई हमारे ग्रहणो से काफ़ी छोटा है. खुशदीप भाई तो और डरा रहे है वैसे मैने पता किया मेरा तो सातवा जनम है
जवाब देंहटाएंसुर्य को ही ग्रहण लगता है प्यारे
जवाब देंहटाएंजय हिंद
ग्रहण तो तब होता है जब आप तक आने वाले प्रकाश में बाधा हो जाए। या आप के दर्शनीय पर प्रकाश न पहुँचे। उस के लिए तीन ऑब्जेक्ट होना जरूरी है। आप तो ये बताएँ कि आप का तीसरा ऑब्जेक्ट क्या है?
जवाब देंहटाएंSukriya mitro ho ho ha ha hee hee
जवाब देंहटाएंअरे अरे यह कया कह रहे है....लेकिन मजाक अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंहा हा गुरू दिनेश जी ने भी क्या सवाल किया। मुकुल भाई अब बतलाइए ? वैसे हम भी क्या करें इन्हीं फ़ैक्ट्स और ग्राउण्ड्स का केस तो हमारा भी है यार। इसी को तो कहते हैं ना उगलत लीलत पीर घनेरी।
जवाब देंहटाएंबवाल सच श्री दिनेशराय द्विवेदीजी ने तो नि:शब्द कर दिया
जवाब देंहटाएंअब तो अपने लेने के देने पड़ गए गुरु
मुकुल भाई
जवाब देंहटाएंभलाई इसी में है तीसरा आब्जेक्ट बता दो वकील सा'ब
को बचा लिए जाओ गे वरना निग्रहण तय समझो
:)))
जवाब देंहटाएंये भी खूब रही!!!!
aap bhi n ... Shrimati ji ko satane ka ek bhi mauka jaane nahi dete ho....
जवाब देंहटाएंहा...हा...हा...बहुत ही मजेदार ...
जवाब देंहटाएंकुछ कसर बाकी रह गई हो तो कैटरीना के साथ आपकी फोटो फिट कर के भिजवा देता हूँ
आपकी हिम्मत की दाद देती हूँ...:):)
जवाब देंहटाएंऔर ये भी बताना चाहती हूँ आपका ग्रहण अगले सात जन्मों तक चलेगा....अब ये पता नहीं कि आपका ये कौन सा जन्म है...!!