![[Shakuntala_kalajagat.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEimyk37cwFL-At_R0IaTtGZORN59M1KJhoS4blRFuoH2UYBjk-7oe2nGYQJp42XXzo-MZcJ_oElSRU3J29z0c3Z0_SmPUE3eZ61q-FzQZcJgov0U7gI_hx06zi9xcZ1ZQeFzPQq_hWFgA/s1600-rw/Shakuntala_kalajagat.jpg)
मंद पवन मादक मदन, प्रियतम भाव विभोर,
पायल-ध्वनि मोहक लगे, शेष सबइ कछु शोर
नयनन सोहे प्रीत रंग, प्रीत पवन चहुँ ओर
टेसू बोते वेदना, विरहन पीर अछोर
प्रिय बिन बैरन-सी लगे पायल की झंकार
हाथ निवाला ले खड़ा ओंठ करे इनकार
देह जगाए कामना, हाथ सजाते रूप
दरपन तब जाके कहे- "अब तुम प्रिय अनुरूप''
मादक माधव माह यो, जोग-बिजोग दिखाए
प्रिय से दूर तनिक रहो, प्रीत दुगुन हुई जाए
तापस का प्रिय राम है, ज्यों बनिकों को दाम
प्रेम-रीति के दास हम, मुख वामा को नाम
बहुत सुन्दर गिरीश भाई..
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब।
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