तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता !
आह को चाहिए
दिल-ए-नादाँ
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हज़ारों ख्वाहिशें
अब अपने महबूब के लिए
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में।
शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी
छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन
सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
आनन्द आ गया.बेहतरीन संकलन.
जवाब देंहटाएंयह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति मुकुल भाई। सुनकर और देखकर मज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएंनव-वर्ष पर ढ़ेरों शुभकामनाओं के साथ हमारा निवेदन: वर्ष २०१० मे हर माह ७ नए सिर्फ़ और सिर्फ़ चिट्ठा-पाठक (हिंदी चिट्ठों को पढ़ने और विष्लेषण करने के लिए और उन पर टिप्पणियाँ देने के लिए) तैयार करवाएँ और किसी भी नए व्यक्ति से नए चिट्ठे कतई ना शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या इतने पर ही बरकरार रखने मगर उनकी विविधता और गुणवत्ता बढ़ाने में योगदान करें।
जय हिन्दी चिट्ठाकारी !
जय हिन्द !