आज अपने साथ भी यही कुछ हुआ हम ठहरे पलटवारी पुटिया के अपने हाथ ले लिया कैमरा और हम पर हंसने वाली श्रीमती जी का चित्र भी कैद कर लिया इस चुहल से नाराज़ श्रीमती जी ने देर तक बात की नहीं चाय का प्याला तो लाँई किन्तु जैसे ही फोटो हमने दिखाया तो फिर वही उन्मुक्त हंसीं माहौल ही बदल गया किन्तु एक उपनाम दे दिया हमको "पलटवारी" हम भी कम नहीं बोल पड़े :-"हमारी आजा को में इलाके के पटवारी खिताब मिला था रदीफ़ मिल गया पलटवारी"
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फिर क्या था एक बीमार दिन की खुशगवार होती सांझ और हम आ गए आपकी सेवा में निहायत पर्सनल बात को ब्लॉग पर छापने. इस बात का से सच साबित हुई वो बात जो एक दिन माँ ने हम दौनों से कही थी: "बेटा हमारा ज़माना और था अब सह अस्तित्व ही ज़रूरी है...." पत्नी के समर्पण की कीमत इस युग ने आंकी है तुम उसका पालन करना . और मेरी पत्नी से कहा :हाँ सुलभा मुदित होने के लिए कोई समय निर्धारित नहीं सदा मुस्कुराते रहो दुनियाँ में बेवज़ह रोने के विषयों की भरमार है.
बिल्कुल सही..प्रेम का यही सार है.
जवाब देंहटाएंसदा मुस्कराते, प्रफुल्लित रहें.
भाभी जी को प्रणाम!!!
यह कला तो सीखनी ही होगी.
जवाब देंहटाएंबस जी युही हंसते खेलते रहो, जिसे प्यार कहते है वो यही है
जवाब देंहटाएंPalatwari..........wah kya naam diya hai. vaise bhabhi ji aur aap donon bilkul natural lag rahe hain.
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