Wikipedia

खोज नतीजे

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

नर्मदा गीत

स्वजनों को नर्मदा जयंती पर हार्दिक बधाई के साथ
     सेठानी घाट होसंगाबाद
मंथर प्रबल प्रवाहनी माँ
रेवा मक्र-वाहिनी माँ ।। 
प्रिय का पथ तज भई बिरागिनि
युग की पीर निवारिनी माँ ।। 

निर्मलजल कल कल अविरल
बिंदु बिंदु अमृत का मिसरन ।
तट हरियाए हुलस हुलस के-
सकल धरा पहने आभूषन ।।
बनी प्रकृति सवारनी  माँ ।। 

कोल भील वनचर पथचारी
तेरे तट बहु तीरथ माई ।
कलकल जल कलरव के संग
कंठ कंठ ने कथा सुनाई ।।
पंथ प्रबल मन भावनी मां ।।
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणियाँ कीजिए शायद सटीक लिख सकूं

ad

कुल पेज दृश्य