स्वजनों को नर्मदा जयंती पर हार्दिक बधाई के साथ
मंथर प्रबल प्रवाहनी माँ
रेवा मक्र-वाहिनी माँ ।।
प्रिय का पथ तज भई बिरागिनि
युग की पीर निवारिनी माँ ।।
निर्मलजल कल कल अविरल
बिंदु बिंदु अमृत का मिसरन ।
तट हरियाए हुलस हुलस के-
सकल धरा पहने आभूषन ।।
बनी प्रकृति सवारनी माँ ।।
कोल भील वनचर पथचारी
तेरे तट बहु तीरथ माई ।
कलकल जल कलरव के संग
कंठ कंठ ने कथा सुनाई ।।
पंथ प्रबल मन भावनी मां ।।
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*
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