शीतल भई बयार पंथ सब नीके लागैं ।
ऋतु बसंत जब छाय, सबई रंग फीके लागैं ।।
लखै मुकुल कविराय प्रेमरंग नयनन भावै-
वासंती उत्साह पल पल नाच नचावै ।।
शारद करे सहाय सामवेद मन भाया -
पोर पोर हम आपके ये ऋतुराज़ समाया ।।
शिव तापस रंग त्याग के, देखो भये कुमार
संभव हो जावे यहां, प्रीत-मिलन-श्रृंगार ।।
जागै कवि मन चेतना, शेष कछुक नै भाय ।
माधव मास सु आगमन, सुख हर मन महुँ छाय ।।
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वसंत पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं
माँ शारदा सदा सहाय करें
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*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*
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