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बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

वासंती कविता

शीतल भई बयार पंथ सब नीके लागैं ।
ऋतु बसंत जब छाय, सबई रंग फीके लागैं ।।

लखै मुकुल कविराय प्रेमरंग नयनन भावै-
वासंती उत्साह पल पल नाच नचावै ।।

शारद करे सहाय सामवेद मन भाया -
पोर पोर हम आपके ये ऋतुराज़ समाया ।।

शिव तापस रंग त्याग के, देखो भये कुमार
संभव हो जावे यहां, प्रीत-मिलन-श्रृंगार ।।

जागै कवि मन चेतना, शेष कछुक नै भाय ।
माधव मास सु आगमन, सुख हर मन महुँ छाय ।।
💐💐💐💐
वसंत पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं
माँ शारदा सदा सहाय करें
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*

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