युद्धकाल में औरत
युद्ध नहीं लड़ती ..
पल पल
जीने के लिए लड़ती
रातों को अपलक
अचानक जाग
बेटे बेटियों के चेहरे निहारती
अखबार में छपी खबरों से
नज़र चुराती
प्रार्थनारत... करबद्ध
मन ही मन मनौती मनाती
युद्ध के अवसान के लिए
खुद पर व्रत-वरतूले लादती
बूढ़ी माँ को बताती - माँ वो ठीक हैं..
तुम चिंता न करो ........
और खुद चिंता के
रथ पर सवार जाने कहाँ कहाँ घूमती है..
युद्ध के समय ...
औरत युद्ध कहाँ लड़ती है... ?
सुना है अब औरत लड़ती हैं
सीरिया में तो अब जंग सीख गईं हैं
काश 71 के पहले बांग्ला देश में औरतें
जंग सीख जातीं तो तय था
हौसला न बढ़ता
उनका
जो खुदा के लिए जंग लड़ते हैं...
सर्वशक्तिमान के लिए कौन लड़ता है..?
कम से कम मैं नहीं ये औरतें भी नहीं
सर्वशक्तिमान सदा सर्वशक्तिमान था है और रहेगा
ये सनातन सत्य था है और रहेगा...
इस लिए औरतें युद्ध कहाँ लड़ती है... ?
बस प्यार करतीं हैं... अछोर प्यार
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