रोज़री में सजे
तुम कल बदले जाओगे
गुलाब हो न तुम
सम्मान में भी मिलते हो
दूसरे तीसरे दिन
कूड़ेदान में
बदहवास मिलते हो
गुलाब हो न तुम
तुमको समझने वाला
होता है निराला
गुलाब हो न तुम
नेहरू की अचकन से रूमानी सेज तक
तुमको हर अगली बार
जमीन पर बिखरा बिखरा पाया
*गुलाब हो न तुम*
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