मेरी इंदुताई |
अदभुत कहानी है कस्तूरी इंदुताई के भावुक मानस से हम तक आई कहानी बहुत कुछ कहने सोचने पर मज़बूर करती है.. मंतो की कहानियों को पढ़ने के बाद ऐसा ही विचार मग्न हो जाता हूं.. ताई से बिना अनुमति लिये ब्लाग पर छाप रहा हूं.. ताई के ब्लाग "उद्धव जी" पर अवश्य पहुंचिये बड़ा भाव प्रणव ब्लाग है.. मेरी ताई भी तो ऐसी ही भावुक है.. जिनको रूबरू कभी नही देखा मैने..
याद नहीं कितनी पुरानी बात होगी, शायद पन्द्रह बीस साल हो गए होंगे उस घटना को ......
आज भी ज्यों की त्यों दिमाग में छाई हुई है,रह रह कर जैसे एक दस्तक देने चली आती है , 'मैं हूँ तुम्हारे आस पास ही ' कह जाती है.
एक बर्तन वाले की शॉप के बाहर खडी थी मैं,शायद कुछ खरीद कर निकली थी .
तभी एक हाथ ने मेरे काँधे को छुआ -'इंदु ' कोई कान के एकदम पास फुसफुसाया.
वो बचपन की एक सहेली 'कस्तूरी'(काल्पनिक नाम) थी.
सुंदर,स्मार्ट, सजी धजी, सम्पन्नता झलक रही थी उसके रहन सहन से.
मैंने उसे पहचान लिया क्लास में सबसे पीछे बैठती थी वो.
पढने में सामान्य , खाते पीते घर की लडकी, पिता व्यापारी थे उसके,
गिरवी का धंधा भी था उनका, बहुत कम बोलती थी,दुबली पतली सी थी.
एकदम सिम्पल रहती थी,
अभी देखा आश्चर्य हुआ -'अरे वाह! तु तो एकदम बदल गई,सुखी है? आराम से तो है ना ? ' कहते हुए बाज़ार में ही मैंने उसे गले लगा लिया.
''हाँ! देख, एकदम आराम में, ठाठ की जिंदगी है अपनी '' उसने जवाब दिया.
दो चार मिनट बात करने के बाद मैंने उसे कहा -'घर आ फुर्सत से बैठेंगे ,बातें करेंगे '
वो चली गई एक बार फिर गले लग कर.
दुकानदार ने आवाज दी -'' आप इसे जानती हैं ?''
'' हाँ,मेरे बचपन की सहेली है हम एक साथ पढ़ते थे '' मैंने चहकते हुए जवाब दिया.
बचपन का कोई भी साथी मिल जाए मैं बहुत खुश होती हूँ,शायद ये अहसास सभी का ऐसा ही होता होगा एक जैसा .
''आप उस से बात मत करना आगे से '' परिचित दुकानदार ने कहा
''वाह, क्यों नही करुँगी ? वो बचपन में मेरे साथ खेलती थी, साथ साथ गुडिया गुडिया खेलते थे हम .इतने सालों बाद मिली है.जानते हैं मैं कितनी खुश हूँ ? और वो सुखी है,ये देख कर मुझे कितना अच्छा लग रहा है आपको मालूम ?'' एक सांस में मैं सब बोल गई.
एक सवाल भरी नजर मैंने उनके चेहरे पर डाली,
छोटे शहरो में लोग एक दूसरों को मात्र व्यक्तिगत रूप से ही नही जानते,उनकी पीढ़ियों की जानकारी रखते हैं.
मेरे सवाल को उन्होंने पढ़ लिया था, पर कुछ नही बोला .
मैंने कहा -''काकासा! मैं नही जानती आप क्या बताना चाहते हैं,वो मेरे बचपन की सहेली है,बस.मेरे लिए इतना ही काफी है '' जाने क्यों मेरी आवाज भर्रा गई .
घर आ कर मैंने सबको बताया और ये भी की 'उस 'दुकानदार ने मुझे 'ऐसा' बोला.
..............................वो शहर की एक कथित 'फेमस' कोल-गर्ल' थी.
सम्पन्न,नामी घर की इस लड़की की किस मजबूरी ने उसे 'इस' रास्ते पर धकेला ?नही मालूम, मजबूरी ? औरत ना चाहे तो क्या किसी की हिम्मत है जो उसे ....
पर मैं शोक्ड थी.
मात्र एक महिना ही गुजरा होगा,एक दिन अखबार में पढ़ा 'ट्रेन के शौचालय में से युवती का शव बरामद ,किसी ने चाकुओं से गोद कर निर्मम हत्या की '
फोटो देखा ,ये वो ही थी.................
एक सीधी सादी चुप चुप रहने वाली प्यारी सी बच्ची 'कस्तूरी'
एक बात बताउं? वो कहीं से आके मेरे कंधे पर हाथ रखे, मैं फिर पलट कर उसे गले से लगा लूंगी.
दलदल में गिर जाना भूल है पर ....
क्या निकलने का मौका भी नही दे सकते हम ...................????????
क्षमा करें...पहले कमेट में दिन गलत टाइप हो गया था...!
जवाब देंहटाएं--
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (26-05-2013) के "आम फलों का राजा होता : चर्चामंच 1256"
में मयंक का कोना पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
mauka to milna hi chahiye .....
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति है
जवाब देंहटाएंGoogle Maps in Hindi
जवाब देंहटाएंSupercomputers in Hindi
Data Science in Hindi
Malware in Hindi
Information Technology in Hindi
Robot in Hindi
Application Software in Hindi
Desktop in Hindi
bhut hi badiya likha hai apne thanks yh bhi pdeInformation technology Kya Hai
जवाब देंहटाएंPGDCA KYA hAI
जवाब देंहटाएंMCA KYA hAI
Btech KYA hAI
ENGINEERING KYA hAI
Storagw device kya hai