भीगे नयन बता ही देंगे
कैसे तुम ने रात बिताई
कैसे व्यक्त करें हम बोलो
कैसी अपनी थी तन्हाई.
****************
कभी तुम्हारे सपने ... देखे
कभी तुम्ही में सपने देखे !
शाल-दुशाले ओढ़ के हमने
कोशिश की थी सपने देखें.
कोशिश बहुत हुई थी फ़िर भी प्रियतम भोर भए तक नींद न आई..
****************
मन वियोगवन का मृग छौना -
देह ! देह क्या.. एक खिलौना !
पल-छिन बस आभास तुम्हारा-तुम बिन क्षण युग सा,मास-बरस सब कुछ बौना !
कोशिश बहुत हुई थी फ़िर भी प्रियतम अंजोरी तक रास न आई..****************
****************
bahut he sundar prem kavita hai apke..........virah or prem ka anudha sangammmmmmmmmmmmmmm
जवाब देंहटाएंओहो!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआभार
wah kya khoob likha hai samvednaon ka sundar chitran ....badhai
जवाब देंहटाएंprem diwas pr mubarkvad ...
जवाब देंहटाएंpranay diwas pr satik prastuti, badhai
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंप्रेम जो कराए कम है, कमब्खत पहला तो वह नींद ही हराम कर देता है।
जवाब देंहटाएं