दिल का दिया जलते ही दिल की धड़कने रंग लाने लगीं और तुम्हारी यादें उस एकाक़ी पल में तुम्हारे क़रीब और क़रीब ले आतीं हैं. मुझे याद हैं वो पल जब अचानक़ किसी काम के लिये तुम्हारे घर जाया करता था तुम शर्मीले अंदाज़ से कनखियों से मुझे निहांरतीं फ़िर खुद को सम्हाल के कहतीं हड़बड़ाहट के साथ - जी, भैया नहीं है आईये न आईये न.. शायद तब तुम्हारी तेज़ धडकनें आवाज़ में जो क़शिश होती उसी को याद करता हूं अक्सर तन्हाई में तुम्हारी तस्वीर देखता हूं पर जो बात तुझमें है वो तेरी तस्वीर में कहां..? are
नोट : इस पोस्ट में चुनिंदा लिंक हैं जो उस दिन जब अकेले में सफ़र के दौरान खाली वक़्त में सुन रहा था .आप भी सुनिये
और उस शाम जब देर तक हम तुम बातों ही बातों में दूर तलक निकल आए थे सपनीली-फ़ुलवारी में तब ही तो छिड़ी थी फ़ूलों की बात ये क्या अब तो पुकार लो ....सच अब वीराने में ""दिल तडप के क्या सदा दे रहा" है
बेहद उम्दा पसंद..
जवाब देंहटाएंसुन्दर, सामयिक प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंअच्छे गानों का संग्रह ..
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