तुम संग नेह के भाव जगाके
बैठ थे हम पलक भिगाके
कागा शोर करे नीम पर -
मीत मिलन की आस जगाके
*******************
नेह निवाले तुम बिन कड़्वे
उत्सव सब सूने लगते हैं,
तुम क्या जानो विरह की पीडा
मन रोता जब सब हंसते हैं.
क्यों आए मेरे जीवन में- आशाओं का थाल सजाके.
*******************
ज़टिल भले हों जाएं हर क्षण
पर तुम हो मेरे सच्चे प्रण..!
जब भी मुझको स्वीकारोगे-
तब होंगे मदिर मधुर क्षण..!!
रुक जाओ मिलना है तुमसे , मत जाओ यूं जाल बिछाके
लीजिए टिप्पणी कर दी, अब सटीक(टीका सहित) लिखिए।
जवाब देंहटाएंआभार
एक टीका हमारी तरफ से भी., :)
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंहर प्क़्पंक्ति दिल को छूती हुयी।
जवाब देंहटाएं