फ़ागुन के गुन प्रेमी जाने, बेसुध तन अरु मन बौराना
या जोगी फ़ागुन पहचाने , हर गोपी संग दिखते कान्हा
रात गये नज़दीक जुनहैया,दूर प्रिया इत मन अकुलाना
सोचे जोगीरा शशिधर आए ,भक्ति की भांग पिये मस्ताना
प्रेम रसीला भक्ति अमिय संग,लख टेसू न फ़ूला समाना
डाल झुकीं तरुणी के तन सी, आम का बाग गया बौराना
जीवन के दो पंथ निराले,कृष्ण की भक्ति या प्रेम को पाना
दौनों ही मस्ती के पथ हैं,इनपे ही हो आना जाना--..!!
होली में चेहरा हुआ, नीला, पीला-लाल।
जवाब देंहटाएंश्यामल-गोरे गाल भी, हो गये लालम-लाल।१।
महके-चहके अंग हैं, उलझे-उलझे बाल।
होली के त्यौहार पर, बहकी-बहकी चाल।२।
हुलियारे करतें फिरें, चारों ओर धमाल।
होली के इस दिवस पर, हो न कोई बबाल।३।
कीचड़-कालिख छोड़कर, खेलो रंग-गुलाल।
टेसू से महका हुआ, रंग बसन्ती डाल।४।
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रंगों के पर्व होली की सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
आदरणीय , गिरीश जी
जवाब देंहटाएंहोली की इस खुबसूरत और भक्ति और स्नेह से भरी कविता का एक एक शब्द बेहद खुबसूरत हैं |
सुन्दर प्रस्तुती
होली की आप के पुरे परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं |EditMar 19
jogia bhi baba bhi
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