हां ! उस रात
देर तक सितारों से
तुम्हारा ज़िक्र हुआ !
तुम्हारा न होना
सितारों पर भारी था
विरह में कुछ सितारे
सिसकने लगे
कुछ जो बेहद व्यग्र थे
इधर-उधर खिसकने लगे
तभी
ज्यों ही
पूरब से
सूरज ने झांका
अदृश्य हुए बेचारे
सितारे
तुम
अपनी अंजोरीयां
मत ले जाया करो
साथ समेट के !
हां चांद सच है !
इन सितारों को
इन बेचारों को
तुम्हारे बिना
भाते नहीं कोई भी पाठ
आकाशी सलेट पे !!
इस पोस्ट पर प्रयुक्त चित्रों के लिये अगर चित्र के सृजक/स्वामी को कोई आपत्ती हो तो मुझे सूचित कीजिये.
बहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंwah! bahut hi sunder :-)
जवाब देंहटाएंbahut hi saral lekin umda
जवाब देंहटाएंमनीष जी सही कह रहे हैं
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंहां ! उस रात
देर तक सितारों से
तुम्हारा ज़िक्र हुआ !
तुम्हारा न होना
सितारों पर भारी था
विरह में कुछ सितारे
सिसकने लगे
कुछ जो बेहद व्यग्र थे
इधर-उधर खिसकने लगे
बहुत खूब.
सलाम.
बहुत सुंदर जज़्बात.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कविता !
जवाब देंहटाएंतुम्हारे बिना
जवाब देंहटाएंभाते नहीं कोई भी पाठ
आकाशी सलेट पे !!....
अच्छी कविता के लिये बधाई स्वीकारें।
सुन्दर सितारों सी सजी रचना ...
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