तुम्हारी प्यार
भरी भोली भाली बातें
सुन बन जातीं
हैं रातें लम्बी रातें
तुम कौन हो
क्यों हो उस आभासी दुनिया
के उस पार से
जहां एक तिनके
की आड़ लेकर
देख रहीं हो
कनखियों से
सच तुम जो भी हो
आभासी नही
प्रेम की मूर्ति
हां वही जो
कलाकार गढ़तें है
वही जो गीतकार
रचते हैं
फ़िर भी खुद से
पूछता हूं
कल पूछूंगा उनसे
तुम कौन हो
वाह! बहुत खूब!!
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