पीर भरा मन और मुस्काता साहस का संदेशा लेकर
मीत मिला - एक दोराहे पे , नाता इक अनदेखा लेकर !
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खुद जल जल झिलमिल करती जग ,दीपक की वो दीप शिखा सी ...!
उसका साहस देख चकित मन, भाग के लेखे स्वयं मिटाती !!
मीत मिला - एक दोराहे पे , नाता इक अनदेखा लेकर !
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कैसे कह दूं और क्या कह दूं ? प्रश्न घूमते मेरे मानस
हो जाता भावुक मन मेरा , नम आँखों से करता स्वागत !!
मीत मिला - एक दोराहे पे , नाता इक अनदेखा लेकर !
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बुधवार, 23 जून 2010
खुद जल जल झिलमिल करती जग ,दीपक की वो दीप शिखा सी ...!

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गा क्यूँ नहीं रहे आजकल साथ साथ?
जवाब देंहटाएंबेहद सटीक और सार्थक।
जवाब देंहटाएंअजिता जी शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसमीर जी आदेश सर माथे
इन्तज़ार करना होगा
खूबसूरत गीत
जवाब देंहटाएंपीर भरा मन और मुस्काता साहस का संदेशा लेकर
जवाब देंहटाएंमीत मिला - एक दोराहे पे , नाता इक अनदेखा लेकर
बेहद खूबसूरत..