जानती हो स्वप्न प्रिया इस गुलाब के कानों में बदमाश हवा ने कहा कि कोई भ्रमर तुमसे अभिसार को आ रहा है और झट उसने सर ठीक वैसे ही झुका लिया जैसे कि तुम जब मुझसे पहली बार मिली थीं .... और मैंने बिन कहे अपने इश्क का इज़हार किया था............तुम्हारी याद में मैंने भी तस्वीर कैद कर ली मोबाइल कैमरे में और तुम्हारी तस्वीर के पीछे लगा ली है. स्मृतियों को सजीव रखने का एक तरीका है प्रिये ....!
आज मुझे धन कमाने तुमसे दूर जाना और फिर अचानक तुम्हारा मुझसे बिछड़ना मेरी तड़प का कारण है आज मैं तुमसे दूर हूं पास है खूब अकूत धन किन्तु वो संतोष जो तुम एक क्षण मुस्कराहट के ज़रिये भेजतीं थीं मेरे ज़ेहन तक इस अकूत धन में कहाँ Wikipedia
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रविवार, 28 मार्च 2010
बदमाश हवा ने कहा
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में।
शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी
छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन
सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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और मैंने बिन कहे अपने इश्क का इज़हार किया था'
जवाब देंहटाएंअनकहे इजहार की बात ही कुछ अलग है. कहा तो व्यापार में जाता है.
बहुत सुन्दर रचना
अद्भुत गुरूदेव।
जवाब देंहटाएंमधुमय देश हमारा............वाह गुरूदेव वाह। बोलिए।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ..मजबूरी में जब आदमी दूर होता है तो यह याद एक सहारा होता है...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !!सुन्दर रचना!!
जवाब देंहटाएंआप सभी का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत सही..किसी भी दौलत में वो ताकत कहाँ.
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