तुम और मैं
ध्वनि-हीन संवादरत !
तुम-और मैं
नि:शब्द
मैं अनुशासनवश
तुम लज्जावश
फ़िर भी निरंतर
ध्वनि-हीन संवादरत ..!!
ध्वनि-हीन-संवाद
जी भर जीवन भर
बुल्ले-शाह...मीरा...
सूर..........कबीरा
सब....ने किया
प्रेम का प्याला पिया !
ध्वनि-हीन संवादरत !
तुम-और मैं
नि:शब्द
मैं अनुशासनवश
तुम लज्जावश
फ़िर भी निरंतर
ध्वनि-हीन संवादरत ..!!
ध्वनि-हीन-संवाद
जी भर जीवन भर
बुल्ले-शाह...मीरा...
सूर..........कबीरा
सब....ने किया
प्रेम का प्याला पिया !
सच जाता है
तुम-और मैं
जवाब देंहटाएंनि:शब्द
मैं अनुशासनवश
तुम लज्जावश
ध्वनिहीन इस संवाद के क्या कहने
बहुत सुन्दर
ध्वनि रहित संवाद...बहुत खूबसूरत होते हैं। सच आपकी इस रचना की तरह
जवाब देंहटाएंतुम और मैं
जवाब देंहटाएंध्वनि-हीन संवादरत !
तुम-और मैं
नि:शब्द
मैं अनुशासनवश
तुम लज्जावश
फ़िर भी निरंतर
laazwab .