दो:- पीतल के पतीले में पपीता पीला पीला
एक मदारी नेक मदारी
आया लकड़ी टेक मदारी
ढीला ढाला भालू संग में
बंदर आया पहन सफ़ारी !!
देखा जो निक्की ने भालू
निक्कर गीला गीला …!!
पीतल के पतीले में पपीता पीला पीला
चुन्नू,मुन्नू,रिंकू,कुक्की
लक्की,विक्की,निक्की,चिक्की
झबरा काला देख के भालू
गुम थी सब की सिट्टी पिट्टी
देख के बंदर सब मुस्काये
था वो छैल छबीला !!
पीतल के पतीले में पपीता पीला पीला
डम डम डम डमरू बाजा
ठुमका भालू बंदर नाचा ,
नई नई करतब दिखलाई
बंद किया फ़िर खेल तमाशा !
निकले रुपए सिक्के फ़िक्के
आटा रोटी बाटी टिक्के
आटा रोटी बाटी टिक्के
निक्की भी बाहर ले लाया पीतल का पतीला
पीतल के पतीले में पपीता पीला पीला !!
अनुप्रास का सुन्दर प्रयोग
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
बहुत बढ़िया रहा यह भी.
जवाब देंहटाएंवाह!!..........आप की तो चल निकली ...............बच्चा-पार्टी..........जिन्दाबाद ......
जवाब देंहटाएंये तो वास्तव में जबान पलट गीत है.. आभार..
जवाब देंहटाएंसमीर भाई की पोस्ट वाला बन्दर है
जवाब देंहटाएंकहाँ मिला ये गीत ....?
जवाब देंहटाएंआपने लिखा ....?
जी हक़ीर जी
जवाब देंहटाएंबन्दे ने ही रचा है
बावरे-फ़क़ीरा के बाद इस एलबम की प्रतीक्षा कीजिये
badhiya geet hai.
जवाब देंहटाएंबारिश की सुबह ...बालसभा का मजा मिल गया.....गुड....
जवाब देंहटाएंअच्छा बाल गीत है।
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