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बुधवार, 2 सितंबर 2009
मेरी प्रेमिका के कारण
:-)26 दिसंबर 89 से मेरी महबूबा ने हमेशा साथ दिया है आजकल उनके साथ व्यस्त हूँ शायद आप बुरा नहीँ मानेगे
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में।
शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी
छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन
सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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आमतौर पर अपने आप को इंटेलेक्चुअल साबित करने वाले लोग आत्मा के अस्तित्व को अस्वीकार करते हैं ! जो लोग परंपरागत विचारों को मानते हैं वह आत्म...
bilkul nahee jee.
जवाब देंहटाएंअजी हम कबाब मै हड्डी क्यो बने... लेकिन आप की महबुबा को हम सब जानते है
जवाब देंहटाएंdhatt..........hat.........foot.......durrrrr...!!
जवाब देंहटाएंham to aaye yahaan baat karne....aur miyaan....!!
Raz dada ji
जवाब देंहटाएंkoun hai vo